मिले यहाँ पर फूल तो , चुभते भी हैं शूल
वक़्त कभी अनुकूल तो , होता भी प्रतिकूल
मिले यहाँ पर फूल तो , चुभते भी हैं शूल
हो जाते गर भूल से, गलत यहाँ पर काम
उनसे लेकर पर सबक ,मत दोहराना भूल
हो जाते प्रतिकूल हैं, कभी बहुत हालात
मेहनत के बदले हमें ,मिले मात पर मात
लेकिन रखना याद ये , बदलेगा जब वक़्त
होंगे ये अनुकूल भी , गाँठ बाँध लो बात
डॉ अर्चना गुप्ता