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4 Feb 2021 · 1 min read

मिलाकर थोड़े खुबसूरत ख़्वाब

चलो आज तुम भी पियो थोड़ी हम भी पीते है
साक़ी की नजरों में नजरें डाल पैहम भी पीते है

माना बदनाम हो जाऊँगा यारों की महफ़िल में
चाय के शौकीन हम आज वोदका रम भी पीते है

क्यों तौबा करें हम पीने से हम भी तो जवान हुए
मिलाकर थोड़े खूबसूरत ख्वाब ज़मज़म भी पीते है

साक़ी ने बड़े प्यार से बोतल हिला आवाज़ दी हमकों
समझतें तुमकों अपना साथी चलो बेमौसम भी पीते है

लम्हा लम्हा खुशियों में पीते है लोग बदनाम मय हुई
अश्क भड़काते जब आग तो आँखें कर नम भी पीते है

जा ख़ुदा खुदकुशी कर बैठा तेरा अशोक हमदर्दी दिखा
तू भी पीले वर्ना कहाँ रूबरू ए नासिह ए बरहम पीते है

तू क्या जाने मौला साहिल की तमन्ना कश्ती डुबोने की
मेरी गर्दन पर खंजर और देखों होकर हम बेदम पीते है

अशोक सपड़ा की क़लम से दिल्ली से

1 Like · 444 Views
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