“””मिलता रहे मां यों ही प्यार”””
हे धरती मां तेरी रज को, मैंने शीश चड़ाया है।
सब कुछ दिया मुझे आपने, जो भी मैंने कमाया है।।
मानू आपका मै उपकार,मिलता रहे मां यो ही प्यार।।
गोद में तेरी पला बड़ा,बड़ता गया मै खूब बड़ा।
रक्षा कर पाऊं तुम्हारी,स्वप्न हृदय में यही जड़ा।।
बनाया यही मैंने आधार ,हो तुम्हीं मेरी करतार।
मानू आपका मै उपकार, मिलता रहे मां यो ही प्यार।।
पुण्य प्रकटे होंगे कुछ मेरे,तेरी गोद में खेला।
कैसे तुझसे दूर रहूं मां,नित नित दिया नवैला।।
महिमा तेरी अपरम्पार,तूने दिया मुझे आधार।।
मानू आपका मै उपकार,मिलता रहे मां यो ही प्यार।।
आप ही ममता समता मेरी,जीवन का सार।
सेवा करूं,पूजा करूं,उठाया आपने मेरा भार।।
पाऊं जनम बारम्बार,करता रहूं सेवा बार बार।।
मानू आपका मै उपकार, मिलता रहे मां यों ही प्यार।।
राजेश व्यास अनुनय