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18 Jan 2021 · 1 min read

मिट्टी हूँ

# मिट्टी हूँ

मिट्टी हूँ मैं
कहाँ जाऊंगी?
इधर से बह कर
उधर पहुंच जाऊंगी।
ऊपर से उड़ कर
नीचे आ जाऊंगी।
बैठ जाऊंगी नयी जगह
नये पेड़ पत्तों पर।
नये नये रूप में
मैं ढल जाऊंगी।
हर बदलते मौसम की
मार झेल जाऊंगी।
मिट्टी हूँ मैं
कहाँ जाऊंगी?
*** धीरजा शर्मा***

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 372 Views
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