मासूम-सी ख्वाहिश
ये शाम
हो जाएगी
सिंदूरी
एक बार
तुम छत पर
आ जाओ!
ख़ुशबू
घुल जाएगी
हवा में
भींगी हुई
ज़ुल्फें तुम
लहराओ!
जी उठेंगे
गीत मेरे
फूर्सत में
अगर तुम
उन्हें
गुनगुनाओ!
छंट जाएंगे
सारे बादल
दूर से ही
सही
सूरत
दिखलाओ!
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)