मासूम बच्ची
२ माह की रेप पीड़ित मासूम बच्ची का आज के सभ्य समाज को पत्र !
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अंकल अगर मैं आपकी बेटी होती तब भी आप यही कहते की अगर ये साड़ी में होती तो रेप न होता !
अंकल मेरी माँ की भी मजबूरी थी मुझको साड़ी कैसे पहनाती.आप ही बताये आप अपनी दो माह की बेटी को साड़ी कैसे पहनाएंगे !
मेरा क्या कसूर है जो मेरे साथ ऐसा हुआ
अभी तो मैं ठीक से सांस लेना भी नहीं सिख पायी थी !
क्यों हमे अश्लील नजर देखा जाता है क्या हम सम्मान के अधिकारी नहीं है !
क्यों हमारे साथ ऐसा हो रहा है .की हमे अब अपनों से ही डर डर कर जीना पड़ेगा !
आप लोगो को शर्म भी नहीं आती ऐसा
सोचते हुए हमारे लिए !
आप के भी घर में तो माँ बहन बेटीया और मासूम बच्चिया होंगी.आज मेरे साथ ऐसा हुआ है कल उनके साथ भी हो सकता है !
नवरात्रि में सब देवियो को पूजते है .कन्या पूजन करते है फिर उसी कन्या के साथ ऐसा क्यों हो रहा है !
आप सबको ऐसा करते हुए शर्म नहीं आता एक पल के लिए सोचना चाहिए हम भी आपके बहन बेटी जैसी है !
आप सब जिस मर्दानगी का जज्बा रखते है उसकी औकात और अस्तित्व मेरी जैसी ही माँ बहन बेटी से है !
धिक्कार है ऐसे सभ्य समाज को जिस समाज में बेटी अपने आप को सुरक्षित न महसूस कर सकते !
नामर्दो के इस समाज को अपने हाथो में चुडिया व् साड़ी पहनकर घर में बैठ जाना चाहिए !
जिस समाज में दो माह की बच्ची तक को भी अपनी हवस का शिकार बनाया जा रहा है !
अंकल आज मेरे साथ ऐसा हुआ है अगर ऐसा ही होता रहा तो किसी भी घर की बच्ची महफूज नहीं रहेगी !!!!!
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आप सबकी अपनी
पीड़ित बच्ची
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शिवानंद चौबे
जनपद भदोही
उत्तर प्रदेश