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25 Nov 2020 · 1 min read

मालिक

औरतें बखूबी जानती हैं,
नौकर की तरह घिस पिट कर भी ,
मालिक बनना…..
तुम उस पर रोक टोक लगाकर ,
उसे हाथ में कुछ पैसे पकड़ाकर,
अपना मालिकाना सिद्ध करते हो….
वो सिद्ध नहीं करती,
वो बहुत सूक्ष्म तरीके से,
बना देती हैं तुम्हे उन पर निर्भर….
पानी के गिलास से लेकर,
जूते और जुराब तक….
दवा और मरहम से लेकर,
कलम और किताब तक….
धीरे धीरे वो घुल जाती हैं
तुम्हारी दिनचर्या में ,
रम जाती हैं,
तुममें और तुम्हारे परिवार में….
और एक दिन,
जब एका एक,
तुम्हारी आंखों के सामने
वो छोड़ती हैं ये दुनिया,
तुम्हें तोड़ देती हैं,
क्योंकि तुम सिर्फ समझ रहे थे,
कि मालिक तुम हो…
और वो चाहती भी यही थी,
कि तुम समझो कि मालिक तुम हो….
नौकर की तरह जीते जीते भी,
मरते वक़्त आखिरी दांव
जीत जाती हैं वो…
दासी की तरह
जीती है वो,
रानी की तरह
मर जाती है वो।

Language: Hindi
5 Likes · 1 Comment · 337 Views
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