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5 Oct 2016 · 1 min read

मार कोख में बेटी माँ की नज़रों में खुद मरते हो

1
जब अपने ही घर में बेटी को लाने से डरते हो
पूजन कन्याओं का फिर क्यों नवरातों में करते
हो
कृत्य तुम्हारे ऐसे तुमसे माँ खुश कैसे हो सकती
मार कोख में बेटी माँ की नज़रों में खुद मरते हो

2
कभी सम्मान नारी को न घर बाहर कहीं देते
कुचल कर कोख में बेटी जनम लेने नहीं देते
न वो इंसान कहलाने के काबिल हैं जमाने में
उन्हें भगवान भी इक दिन सजा देखो यहीं देते
डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 580 Views
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