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19 Jul 2016 · 1 min read

“माफ कर दो..” अतुकांत रचना

मैं…..
कल
तुम्हारे पीछे
तुम्हारे कमरे में गई थी…
तुम तो नाराज थे न
सारी बातें करती रही
तुम्हारे सामान से
तुम्हारा बिस्तर
तुम्हारे कपड़े
बैग किताबे पेन…
करीने से सजी
अलमीरा तुम्हारी
जानती हूँ नापसंद है
तुमको बेतरतीबी…
कर दो न माफ़..
इस बार एक बार बस
मेरे बेतरतीब विचारों के लिए…
माफ कर दो न..
सुनो..
वो पीला पेन है न..
अलमीरा में रखे
ढेर सारे पेनों के बीच
उसी से लिख आई हूं
माफ़ीनामा
शाम ढलते चले आना
नुक्कड़ की दुकान पर
नीली शर्ट पहनकर ..
मुस्कुराती मिलुंगी
बालकनी में
मैं….

Language: Hindi
1 Like · 10 Comments · 793 Views
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