**मान जाएंगे फिर से**
तन्हाइयों में जीने को ,मजबूर हुए।
खबर नहीं क्यों, तुमसे दूर हुए।
प्यार तो किया था हमने ,बेइंतेहा तुमसे।
दोष हम पर लगा ,तुम खुद बेकसूर हुए।।
ख्वाब तो अब भी ,तुम्हारा ही देखा करते हैं ।
वक्त के हाथों फासले, चाहे जरूर हुए।।
भुलाया नहीं जा सकता, दिल से वह अपना प्यार।
मान जाएंगे फिर से, प्रयास अभी कहां भरपूर हुए।
यादें तो हमारी भी, आती होगी तुम्हें सनम।
जोड़ लेंगे मन दर्पण, चाहे टूट के चकनाचूर हुए।।
कुछ तुम बढो,नजदीक हम भी आएंगे।।
गलतफहमियां होगी दूर, दुर्दिन अपने अब दूर हुए।।
राजेश व्यास अनुनय