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8 Jul 2017 · 1 min read

मानसून

आयी बरसा।
उदास किसान का ।
मन हरषा ।।

आग का गोला ।
देता है ये जीवन ।
दहके शोला ।।

कुछ हो कम।
सूरज की तपन ।
धरा हो नम ।।

बढ़ती गर्मी ।
कैसी सूरज की है ।
ये हठधर्मी ।।

चढ़ा है पारा ।
जून की तपन का ।
कोई न चारा ।।

आरती लोहनी

Language: Hindi
1 Like · 439 Views
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