मानव है, स्वतंत्र है ।
मानव है, स्वतंत्र है ।
मानवता ही,
जीवन परम मंत्र है ।
पापी है, पराया है ,
परतंत्र है ।
जीवन में सिर्फ,
विषय प्यास ,
न कोई सही तंत्र है ।
अरविन्द व्यास ” प्यास “
मानव है, स्वतंत्र है ।
मानवता ही,
जीवन परम मंत्र है ।
पापी है, पराया है ,
परतंत्र है ।
जीवन में सिर्फ,
विषय प्यास ,
न कोई सही तंत्र है ।
अरविन्द व्यास ” प्यास “