Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jan 2019 · 1 min read

मादक सी मस्ती

जब जब याद करूँ मैं तुझको,
आंखे मेरी भर जाती हैं,
मेरे मन के आंगन में तेरी,
तस्वीर नजर आती हैं,
प्यार से जब जब देखा था तुझको,
शर्मा के नजरे झुका लेती थी,
जब चलती थी संग तेरे हवाएं,
लहराता तेरा आँचल था,
बाहों में बांधे जब तू आँचल,
इंद्रधनुष संग चलता था,
लगती थी रम्भा उर्वशी जैसे,
मादक सी मस्त अप्सरा,
उड़ती हुई बिखरी जुल्फों के बीच,
चांद सा था मुखड़ा तेरा,
तेरे पायल की झमझम रुनझुन,
मन के सितार बजाती थी,
मैं गीत गाते गाते तेरे पीछे,
मतवाला हो आता था,
प्यार से थी तब मुझे बुलाती,
अपने गले से लगाती थी,
बस पल में ही मिट जाती थी,
तन मन की थकान मेरी,
हँसते हुए जब तू शरमाकर
प्यार की बाते करती थी,
जीवन की मेरे तू थी आशा,
जबसे गयी निराशा है,

Language: Hindi
414 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ये जो आँखों का पानी है बड़ा खानदानी है
ये जो आँखों का पानी है बड़ा खानदानी है
कवि दीपक बवेजा
*हिन्दी बिषय- घटना*
*हिन्दी बिषय- घटना*
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पुराने पन्नों पे, क़लम से
पुराने पन्नों पे, क़लम से
The_dk_poetry
.
.
Amulyaa Ratan
बदनसीब डायरी
बदनसीब डायरी
Dr. Kishan tandon kranti
रहना चाहें स्वस्थ तो , खाएँ प्रतिदिन सेब(कुंडलिया)
रहना चाहें स्वस्थ तो , खाएँ प्रतिदिन सेब(कुंडलिया)
Ravi Prakash
विलोमात्मक प्रभाव~
विलोमात्मक प्रभाव~
दिनेश एल० "जैहिंद"
काट  रहे  सब  पेड़   नहीं  यह, सोच  रहे  परिणाम भयावह।
काट रहे सब पेड़ नहीं यह, सोच रहे परिणाम भयावह।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
अबोध प्रेम
अबोध प्रेम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तन्हाई
तन्हाई
Rajni kapoor
’जूठन’ आत्मकथा फेम के हिंदी साहित्य के सबसे बड़े दलित लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि / MUSAFIR BAITHA
’जूठन’ आत्मकथा फेम के हिंदी साहित्य के सबसे बड़े दलित लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
3135.*पूर्णिका*
3135.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गंदा है क्योंकि अब धंधा है
गंदा है क्योंकि अब धंधा है
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
शतरंज
शतरंज
भवेश
रात में कर देते हैं वे भी अंधेरा
रात में कर देते हैं वे भी अंधेरा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हम किसी के लिए कितना भी कुछ करले ना हमारे
हम किसी के लिए कितना भी कुछ करले ना हमारे
Shankar N aanjna
मोहब्बत पलों में साँसें लेती है, और सजाएं सदियों को मिल जाती है, दिल के सुकूं की क़ीमत, आँखें आंसुओं की किस्तों से चुकाती है
मोहब्बत पलों में साँसें लेती है, और सजाएं सदियों को मिल जाती है, दिल के सुकूं की क़ीमत, आँखें आंसुओं की किस्तों से चुकाती है
Manisha Manjari
■ सबसे ज़रूरी।
■ सबसे ज़रूरी।
*Author प्रणय प्रभात*
Meri asuwo me use rokane ki takat hoti
Meri asuwo me use rokane ki takat hoti
Sakshi Tripathi
अंतरात्मा की आवाज
अंतरात्मा की आवाज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
परिवार
परिवार
नवीन जोशी 'नवल'
25)”हिन्दी भाषा”
25)”हिन्दी भाषा”
Sapna Arora
सत्य की खोज, कविता
सत्य की खोज, कविता
Mohan Pandey
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
VINOD CHAUHAN
सोचा नहीं कभी
सोचा नहीं कभी
gurudeenverma198
चंचल मन***चंचल मन***
चंचल मन***चंचल मन***
Dinesh Kumar Gangwar
चन्द्र की सतह पर उतरा चन्द्रयान
चन्द्र की सतह पर उतरा चन्द्रयान
नूरफातिमा खातून नूरी
जिंदगी,
जिंदगी,
हिमांशु Kulshrestha
"ऐसा मंजर होगा"
पंकज कुमार कर्ण
Loading...