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15 May 2017 · 1 min read

मातृ दिवस पर दोहे

माँ के दिल को पढ लिया,जिसने भी इंसान !
नही जरूरी बाँचना,…गीता और कुरान !!

गुस्से मे भी जब नही,मुझको कहा खराब !
माँकी ममता का तुम्हे,क्या दूँ और हिसाब !!

मेरे अपने आप ही,. बन जाते हैं काम !
माँ के आशीर्वाद का, देख लिय परिणाम !!

माँ से बढ़कर कब हुआ, कोई और मुकाम !
चाहे आवें साथ मे, मिल कर देव तमाम !!

वो चूल्हे की रोटियाँ,…वो अरहर की दाल!
जीवन मे इनका पडा,माँ के बिना अकाल! !

होता है इस भाँति कुछ,माँ का आशीर्वाद!
जैसे माली पेड को,.देता है जल खाद !!

पोंछा था जिनसे कभी,.बचपन मे मुंह गाल !
माँ की पेटी से मिले, ..सारे वही रुमाल !!

ख़त्म रसोई में हुआ , खाना जितनी बार !
माँ ने फांका कर लिया, झूठी मार डकार !!

इसे करिश्मा ही समझ ,कुदरत का इंसान !
माँ को बच्चा गंध से, . .लेता है पहचान !!
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
1 Like · 600 Views
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