मातृशक्ति का सम्मान करो
मातृशक्ति का सम्मान करों
◆ मासूमों की इज्जत को शर्मसार कर,,
क्या मर्दांगनी दिखाते हो,,
अगर हो मर्द की औलाद तो,,
दुश्मनो से सरहद पर जाकर,,
दो दो हाथ क्यों नही करते हो।
◆घर मे तुम्हारे माँ बहनों के संग रहते हो,,
क्यों फिर तुम दुसरो की ही बहू बेटियों
की इज्जत को सरेआम जग में तार तार
करते हो।
◆ भूल क्यो जाते हो बार बार,,
घर मे भी तुम्हारे बहु बेटियां रहती है।।
शर्म करो ज़ालिमों,,
अपने अंदर राक्षसों से भी बदत्तर,,
हैवानियत क्यों रखते हो।।
◆ नही आती तुम्हे दया,,
नन्नी नन्नी सी बच्चियों के संग,,
गंदे दुष्कर्म करते हुये।।
ऐसा नीच घिनोना पाप,,
तुम समाज और दुनिया मे
क्यों करते हो।
◆ क्यूँ नही काँपते तुम्हारे हाथ,,
अपने गंदे काले मंसूबो को,,
अंजाम देते हुए,,
खुद से न डरो,,
लेकिन खुदा की लाठी
से,,
क्यूँ नही डरते हो।
◆ समाज और दुनिया मे,,
अपनी गंदी नीचता का,,
परिचय देते हो,,
हो एक माँ की औलाद हो तुम,,
समाज को और इस धरा को
क्यूँ तुम लाज्जित करते हो।
◆ अपनी माँ बेटियों को बख्शते हो,,
दूसरों की बहू बेटियों को,क्यूँ नोंचते
खरोंचते और जीना
दुश्वार करते हो।
◆ अपने वहशीपन से दुनियों को,,
डराते फिरते हो,,
क्यूँ नही तुम मातृशक्ति का,,
सम्मान करते हो।।
रचनाकार-गायत्री सोनू जैन
सहायक अध्यापिका मन्दसौर
मोबाइल न.7772931211
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