Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2018 · 1 min read

मां

जब आँख खुली थी आज सुबह सबसे पहले तुमको पाया
बस देख के तेरे चरणों को जीवन पर भी एक नग़मा गाया
नग़मे में भी कुछ यूं था मां,
तुम कितना कष्ट उठाती हो….
बच्चों को पीड़ा न हो कुछ,
इसलिए स्वयं थक जाती हो….
ये थकन कहाँ गुम होती है,
तुम अपना सारा दर्द छुपाती हो….
खुद की पीड़ा खुद ही सहकर,
हमको देखकर मुसकाती हो….
ये देख तुम्हारे अनुभव सब इतना सा ही याद मुझे आया,
जब स्वयं तुम्हें महसूस किया तब एक नया किस्सा पाया,
जब आँख खुली थी आज सुबह सबसे पहले तुमको पाया,
बस देख के तेरे चरणों को जीवन पर भी एक नग़मा गाया,
जिस नग़्में में तुम ईश्वर हो,
और मेरे लिए वारदान हो मां….
तुमको पाकर मैं धन्य हुआ,
तुम मेरे लिए भगवान हो मां….
तुम जो भी वो अच्छी हो,
मेरे लिए तो एहसान हो मां….
मैं खुद ही कहाँ स्वयं लायक,
बस मेरे लिए पहचान हो मां….
मैंने भी जितने किस्से देखे ऐसा भी ना कोई किस्सा पाया,
तुमको बेशक मैं जीवन भर गाऊँ फिर भी रहोगी अनगाया,
जब आँख खुली थी आज सुबह सबसे पहले तुमको पाया,
बस देख के तेरे चरणों को जीवन पर भी एक नग़मा गाया।

9 Likes · 45 Comments · 386 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सोच के दायरे
सोच के दायरे
Dr fauzia Naseem shad
दोहे- उड़ान
दोहे- उड़ान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
इस तरहां बिताये मैंने, तन्हाई के पल
इस तरहां बिताये मैंने, तन्हाई के पल
gurudeenverma198
नटखट-चुलबुल चिड़िया।
नटखट-चुलबुल चिड़िया।
Vedha Singh
किसानों की दुर्दशा पर एक तेवरी-
किसानों की दुर्दशा पर एक तेवरी-
कवि रमेशराज
फ़क़त मिट्टी का पुतला है,
फ़क़त मिट्टी का पुतला है,
Satish Srijan
जिस प्रकार प्रथ्वी का एक अंश अँधेरे में रहकर आँखें मूँदे हुए
जिस प्रकार प्रथ्वी का एक अंश अँधेरे में रहकर आँखें मूँदे हुए
Sukoon
सदियों से रस्सी रही,
सदियों से रस्सी रही,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
यादें
यादें
Versha Varshney
पेड़ से कौन बाते करता है ?
पेड़ से कौन बाते करता है ?
Buddha Prakash
पावन सावन मास में
पावन सावन मास में
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
कुछ इस तरह से खेला
कुछ इस तरह से खेला
Dheerja Sharma
डर-डर से जिंदगी यूं ही खत्म हो जाएगी एक दिन,
डर-डर से जिंदगी यूं ही खत्म हो जाएगी एक दिन,
manjula chauhan
*कबूतर (बाल कविता)*
*कबूतर (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
Smriti Singh
शहीदों के लिए (कविता)
शहीदों के लिए (कविता)
दुष्यन्त 'बाबा'
"बदलते भारत की तस्वीर"
पंकज कुमार कर्ण
साथ
साथ
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
इश्क़ और इंकलाब
इश्क़ और इंकलाब
Shekhar Chandra Mitra
मेरा प्यारा भाई
मेरा प्यारा भाई
Neeraj Agarwal
परमात्मा
परमात्मा
ओंकार मिश्र
धीरे धीरे
धीरे धीरे
रवि शंकर साह
समय
समय
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शायर तो नहीं
शायर तो नहीं
Bodhisatva kastooriya
तमाम लोग
तमाम लोग "भोंपू" की तरह होते हैं साहब। हर वक़्त बजने का बहाना
*Author प्रणय प्रभात*
अगर
अगर "स्टैच्यू" कह के रोक लेते समय को ........
Atul "Krishn"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
🕊️एक परिंदा उड़ चला....!
🕊️एक परिंदा उड़ चला....!
Srishty Bansal
रद्दी के भाव बिक गयी मोहब्बत मेरी
रद्दी के भाव बिक गयी मोहब्बत मेरी
Abhishek prabal
3096.*पूर्णिका*
3096.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...