“मां” याद बहुत आती है तेरी
छठवीं पुण्यतिथि पर
माँ को समर्पित मेरी रचना……
कहती थी जो राज दुलारा
था जिसके आँखों का तारा
दूर गई क्यों मैया मेरी
याद बहुत आती है तेरी
तुमने ये जग मुझे दिखाया
हाथ पकड़कर मुझे चलाया
अब जब बारी मेरी आई
मैया क्यों तू हुई पराई
आज सुबह जब आँखें खोला
अपने मन से मैं यह बोला
मैया फिर से मुझे बुलाती
लोरी गाकर मुझे सुलाती
छांवो मे आँचल के तेरे
सपने पूरे होते मेरे
पर अब तो है बस यह सपना
मां जैसा ना कोई अपना
मैया सुन लो विनती मेरी
याद बहुत आती है तेरी
बात “जटा” की मत ठुकराओ
अब तो सपने मे आ जाओ
✍️जटाशंकर “जटा”