मां मन के सब कलुष नशाओ
मां मन के सब कलुष नशाओ
मन लगे नहीं विकारों में
शुभ्र बने जीवन सबका
मन जागे उच्च विचारों में
जीवन का अज्ञान नशाओ
ज्ञान प्रकाशो अंतर्मन में
रोग शोक संताप नशाओ
सुख संतोष हो हर घर में
हे मंगला गौरी कल्याण करो
बैठ जाओ सबके उर में
जय माता दी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी