मां के आंचल होय, सदा ही काशी काबा।
काशी काबा सब यहीं,मां चरणन में होय।
जो मां की सेवा करे,कंटक रहे न कोय।।
कंटक रहे न कोय,कटें सब फंदे उसके।
धर्म नहीं है और,जगत में इससे बढ के।।
कहै अटल कविराय, गये कह हमरे बाबा।
मां के आंचल होय, सदा ही काशी काबा।।