मां का कर ले ध्यान तू
मां शारदे की कृपा के बिना सब असंभव है
देखें एक कुंडलियां छंद
मां का कर ले ध्यान तू, मां करती कल्यान।
शब्द-शब्द में भाव भर,करती है उत्थान।
करती है उत्थान,रचे नित ही नव रचना।
जगत मोह बिसराय, करो अब महज अर्चना।।
कहै अटल कविराय, छोड़ अब मद जीवन का।
मां ही करती पार,ध्यान कर ले तू मां का।