***********मां ओ मां***********
मां ओ मां ,
देखो तो
क्या क्या परिवर्तन आया ?
तेरी कोख का लाल
बुढ़ापे में तेरे ही काम नहीं आया।
मां ओ मां
देखो तो
तुमने कितनी पीड़ा से
नों मास तक उसे
उदर में बसाया ।
पर जब तुझे उसके सहारे की जरूरत थी
उसने अनाथ आश्रम खुलवाया ।
मां ओ मां
देखो तो
तुमने सीने से चिपकाया ।
खुद भूखी रहकर
अपना दूध पिलाया
और उसने ही तेरा मखौल उड़ाया ।
मां ओ मां
देखो तो
मल मूत्र साफ किया ।
जब तब रुग्णता ने घेरा
दिन-रात प्रभु का जाप किया ।
और तेरे लिए उसी बेटे ने
तेरी ममता पर कैसा कुठाराघात किया
तुझे दर-दर भटकाने का महा पाप किया ।
मां ओ मां
देखो तो
तू फिर भी नहीं हारी
बेटे की जब पीड़ा निहारी ।
बाहों में समेट बोली
बेटा मुझे लग जाए तेरी बीमारी ।
मां हो मां
देखो तो
दूर खड़े जब यह मैंने देखा
अपने अभिमान का चोला फेंका ।
तेरे कदमों में लिपटकर
लिखने बैठ गया
ममता मई मां का लेखा ।
“राजेश व्यास अनुनय”