*माँ*
माँ
माँ अगर रख दे सिर पर हाथ तो आशीष बन जाता हैं।
जो माता -पिता को रुलाये वो इन्सान जल्लाद बन जाता है।
और जो बेटा पहुँचाये अपने माता -पिता को वृद्धआश्रम में।
वो बेटा जिंदगी भर के लिये अभिशाप बन जाता है।
गायत्री सोनू जैन
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माँ
माँ अगर रख दे सिर पर हाथ तो आशीष बन जाता हैं।
जो माता -पिता को रुलाये वो इन्सान जल्लाद बन जाता है।
और जो बेटा पहुँचाये अपने माता -पिता को वृद्धआश्रम में।
वो बेटा जिंदगी भर के लिये अभिशाप बन जाता है।
गायत्री सोनू जैन
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