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13 May 2018 · 1 min read

माँ

माँ

माँ के आँचल में चैन से सो जाना चाहती हूँ।
माँ के नैनों में अपनी मूरत देख आना चाहती हूँ।
माँ के एहसानों का कर्ज ताउम्र नही गुजार सकती।
माँ को अपने मनमंदिर में बसाना चाहती हूँ।

माँ की लोरी को सदा खुद के लिये गुनगुनाना चाहती हूँ।
माँ की चाँद सी रोशनी हर वक्त करीब चाहती हूँ।
माँ विधाता की अनुपम देंन है हमकों,
माँ का शुक्रिया जिंदगी भर करना चाहती हूँ।।।

माँ के चरणों मे सिर अपना झुकाना चाहती हूँ।
प्रेम वाणी से दुनिया को माँ गुणगान सुनाना चाहती हूँ।
माँ ने सहे हमारे लिये अनगिनत दुःखो को,
हम सबकी जिंदगी में माँ का मोल बताना चाहती हूँ।

माँ की दुआ ओ का गहना हरदम पहनना चाहती हूँ।
माँ की रातों की वो नींद जिसे उसने मेरे लिये गवाया उसका अभिनंदन बारम्बार करना चाहती हूँ।
माँ ने जन्मा हमे प्रसव पीड़ा की अपार वेदना को सहकर।
उस माँ की सेवा में अपना सारा जीवन न्योछावर कर मुस्कुराना चाहती हूँ।

माँ की आशाओ और अभिलाषाओं को पूर्ण करना चाहती हूँ।
माँ के हिस्से में कभी दुख न आये प्रभु से मिन्नत करना चाहती हूँ।
माँ जैसा कोई नही जग में हितैषी,
ऐसी माँ का सानिध्य मैं सोनू साथ जन्मो तक पाना चाहती हूँ।।।।।

रचनाकार
गायत्री सोनू जैन
कॉपीराइट सुरक्षित

Language: Hindi
299 Views
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