माँ
माँ!तेरा स्नेह मिले प्रतिपल
जीवन को आलोकित कर दो
मानव सच्चा बन पाऊँ मैं
नीड़-नेह में रस भर दो।
कृत्रिमता की होड़ लगी है
मैं तेरा सुत,अन्जान बहुत
मन,क्रम,वचन शुद्ध कर दो माँ!
रक्त आज सात्विक कर दो।
बना सकूँ सबको मैं अपना
दिल में सबके बस पाऊँ
बस छोटी सी यही अर्चना
माँ तुम आज स्वीकार करो।
तेरे चरणों में पड़ा रहूँ माँ!
मिलता रहे स्नेह तेरा
सुख बाँट सकूँ सबको इस जग में
गुण ये सारे मुझमें भर दो।
माँ!तेरा स्नेह मिले प्रतिपल
जीवन को आलोकित कर दो
मानव सच्चा बन पाऊँ मैं
नीड़-नेह में रस भर दो।