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4 Nov 2018 · 1 min read

माँ

माँ ही जन्नत माँ ही मन्नत
माँ में सब संसार
माँ की ममता को पहचानो
माँ ही है भगवान
न इसका तिरस्कार करो तुम
यह प्रकृति का वरदान
कष्ट सह कर के जीवन देती
प्रथम गुरु कहलाती माँ
माँ के आगे प्रभू भी शीश झुकाते
क्योंकि प्रभू से भी ऊंची है माँ
माँ के त्याग को कभी न भूलें
हर तकलीफों से लड़ जाती माँ
हो हम उससे नाराज़ भले ही
सब भुला गले लगा लेती है माँ
सृष्टि का अनमोल नगीना
होती है हम सबकी माँ
इतनी प्यारी होती है माँ
अनुराधा चौहान
कल्याण (महाराष्ट्र)

8 Likes · 20 Comments · 543 Views
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