Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Nov 2018 · 2 min read

माँ

क्योंकि मेरे घर में मेरी माँ है
★★★★★★★★★★★★
सुबह के चार बजे
ब्रह्म मुहूर्त के आगमन के साथ
शुरू हो जाती है हलचल,
उठना, उठाना, हिदायतों
का दोहराना,
न उठने पर मीठी झिड़कियों की फुहारें
कितना अच्छा लगता है-
क्योंकि मेरे घर में मेरी माँ है।

बछड़े का रंभाना
गाय का दुहना फिर
चूल्हा जलता है, दूध उबलता है,
रोटियां पकती है एक-एक कर,
उबलती खीर की महक से
महक उठता है पूरा घर आंगन,
बैठते हैं सब परिजन और
शुरू होता है भोजन का रसास्वादन,
कभी नमक की कमी तो कभी
मिर्ची का ज्यादा होना,
बावजूद इसके लगता है
अमृत पान कर रहे हैं,
आत्मा को सुकून मिलता है –
क्योंकि मेरे घर में मेरी माँ है।

सुबह से लेकर शाम तक
काम ही काम
उसके जीवन का अंग बन गया है,
पिता की डांट, सास की फटकार
सहने की आदी हो गई है,
चेहरे पर दु:ख, तकलीफ की
शिकन तक नहीं,
पीड़ाएँ कोसों दूर है उससे
पर वह सब के नजदीक है,
चूल्हा-चौका, साफ-सफाई
घर परिवार की तमाम देखरेख
हर सदस्य का ख्याल रखना
उसने अपनी नियति बना लिया है,
पूरा घर दमकता है,
पूरे घर का सन्नाटा टूट जाता है
उसके एक-एक कार्यकलाप से ,
चेहरे पर सदा मुस्कान सजाकर रखती है,
वातावरण में असीम सुख है –
क्योंकि मेरे घर में मेरी माँ है।

हाथों के छाले, पैरों में फटी बिवाई
नहीं रोक पाती है उसे
अपने गृहस्थ धर्म की जिम्मेदारियों से,
सबको खिला कर बचा खुचा
खाने से भी कभी उसे शिकायत नहीं है,
पौष की ठंडी रातों में उठ कर
बच्चों को रजाई उड़ाना
उसके मातृत्व में शुमार है,
किसी के बीमार होने पर
पूरी रात आंखों में काट देने में भी
वह कोताही नहीं बरती,
उसका कलेजा तड़प उठता है जब औलाद को परेशान देखती है,
ईश्वर ने एक ही नायाब तोहफा दिया है,
तमाम प्राणी जगत को और वह है
“मां, सिर्फ माँ”
माँ से ही हर घर परिवार स्वर्ग है
स्वर्ग का सुख है,
मैं हमेशा निश्चिंत रहता हूं –
क्योंकि मेरे घर में मेरी माँ है।
★★★★★★★★★★★★
मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि यह कविता मेरी स्वरचित है।
मदन मोहन शर्मा ‘सजल’
म.न. 12-G-17, बॉम्बे योजना, आर.के.पुरम, कोटा, (राजस्थान)
पिन- 324010
मोबाइल न. 9982455646
ई-मेल – madanmohan589@gmail.com

4 Likes · 23 Comments · 488 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
क़िताबों से मुहब्बत कर तुझे ज़न्नत दिखा देंगी
क़िताबों से मुहब्बत कर तुझे ज़न्नत दिखा देंगी
आर.एस. 'प्रीतम'
मौसम आया फाग का,
मौसम आया फाग का,
sushil sarna
* मन में कोई बात न रखना *
* मन में कोई बात न रखना *
surenderpal vaidya
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
Neelam Sharma
स्मृति शेष अटल
स्मृति शेष अटल
कार्तिक नितिन शर्मा
हे परम पिता परमेश्वर,जग को बनाने वाले
हे परम पिता परमेश्वर,जग को बनाने वाले
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
🍁🌹🖤🌹🍁
🍁🌹🖤🌹🍁
शेखर सिंह
हरमन प्यारा : सतगुरु अर्जुन देव
हरमन प्यारा : सतगुरु अर्जुन देव
Satish Srijan
3089.*पूर्णिका*
3089.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*मंज़िल पथिक और माध्यम*
*मंज़िल पथिक और माध्यम*
Lokesh Singh
तुम्हारा दिल ही तुम्हे आईना दिखा देगा
तुम्हारा दिल ही तुम्हे आईना दिखा देगा
VINOD CHAUHAN
महायज्ञ।
महायज्ञ।
Acharya Rama Nand Mandal
मिष्ठी के लिए सलाद
मिष्ठी के लिए सलाद
Manu Vashistha
गौरैया दिवस
गौरैया दिवस
Surinder blackpen
उम्मीद
उम्मीद
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
*धारा सत्तर तीन सौ, अब अतीत का काल (कुंडलिया)*
*धारा सत्तर तीन सौ, अब अतीत का काल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-324💐
💐प्रेम कौतुक-324💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
Anis Shah
समय ⏳🕛⏱️
समय ⏳🕛⏱️
डॉ० रोहित कौशिक
Tum khas ho itne yar ye  khabar nhi thi,
Tum khas ho itne yar ye khabar nhi thi,
Sakshi Tripathi
"एल्बम"
Dr. Kishan tandon kranti
राहत के दीए
राहत के दीए
Dr. Pradeep Kumar Sharma
खुद के हाथ में पत्थर,दिल शीशे की दीवार है।
खुद के हाथ में पत्थर,दिल शीशे की दीवार है।
Priya princess panwar
एक पराई नार को 💃🏻
एक पराई नार को 💃🏻
Yash mehra
एक महिला अपनी उतनी ही बात को आपसे छिपाकर रखती है जितनी की वह
एक महिला अपनी उतनी ही बात को आपसे छिपाकर रखती है जितनी की वह
Rj Anand Prajapati
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
Radhakishan R. Mundhra
अब की बार पत्थर का बनाना ए खुदा
अब की बार पत्थर का बनाना ए खुदा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
*याद  तेरी  यार  आती है*
*याद तेरी यार आती है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
***
*** " ये दरारों पर मेरी नाव.....! " ***
VEDANTA PATEL
बनारस की ढलती शाम,
बनारस की ढलती शाम,
Sahil Ahmad
Loading...