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17 Feb 2021 · 1 min read

माँ सरस्वती की वंदना

हे मात वीणा वादिनी,हे श्वेत वस्त्र धारिणी, हे जग सुख दायिनी, ज्ञान चक्षु खोल दो

हार आशीर्वाद का दो, नेह की डोर में पिरो, त्याग दया साधना के, मोती अनमोल दो

ईर्ष्या ,क्रोध, वैर भाव, मन का भी अंधकार, हर कर हर विकार, मुझे मीठे बोल दो

भावों को दो शब्द प्राण, कलम को अभिज्ञान, कल्पना के गगन में,प्रीत रस घोल दो

दे दो चैन का बिछौना, खुशियों की ओढ़नी भी, चिंताओं का उन पर, नहीं कोई झोल दो

‘अर्चना’ स्वीकार करो, मन में सद्भाव भरो, प्रेम की तराजू रख, खुशियों को तोल दो

17-02-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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