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6 May 2020 · 1 min read

माँ में भी उस चिड़िया के भांति नील गगन में उड़ना चाहता हूँ ।

माँ में भी उस चिड़िया के भांति
नील गगन में उड़ना चाहता हूँ ।
दूर क्षितिज को छू
आसमा का भ्रमण करना चाहता हूँ ।
बिना किसी भेद भाव के
हर डाल पर मैं भी बैठ जाऊंगा ।
हर एक दरख़्त होगा मेरा घर
हर दरख़्त का खाना खाऊंगा ।
प्यास लगेगी तो हर झील नदी में
पानी पीने आऊंगा ।
मज़हब के इस खूनी खेल को
मैं नही फैलाऊंगा
बात करूंगा भाईचारे की
भाईचारा निभाऊंगा
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई
माँ मैं नही बनना चाहूंगा
मैं तो बस पंक्षी बन
दूर गगन तक
उड़ जाना चाहूंगा ।

भूपेंद्र रावत
4।05।2020

Language: Hindi
4 Likes · 479 Views
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