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17 Jun 2020 · 1 min read

माँ पर मुक्तक

मुक्तक – माँ
★★★★★★★★
लुटाती प्यार का सागर,
रखे मुझमें ही अपनी जां।
कभी कुछ बात जब कहती,
सहज रहती है मेरी हाँ
सदा से मैं ही हूँ जिसका,
कलेजे का कोई टुकड़ा।
नहीं भूली कभी मुझ पर,
जताना प्यार मेरी माँ।
★★★★★★★★★
रचनाकार- डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
पिपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 490 Views
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