” माँ ने किया अबोला है ” !!
काम काज है ,
फुरसत ना है ,
बांध दिया यह झूला है !
मां ने किया अबोला है !!
हवा से बातें करता हूँ तो ,
हंसी मुझे आ जाती है !
मां की झलक आंख बसी है ,
खुशियां ही दे जाती है !
होले से वह डोर खींच कर –
देती एक झकोला है !!
कामकाज को सभी गये हैं ,
में ही एक निठल्ला हूँ !
मां घर के सब काम सँवारे ,
में उनका दुमछल्ला हूँ !
आँचल में बस प्यार पल रहा –
बाकी चना चबोला है !!
नींद रात की उड़ जाती है ,
महफिल मेरे नाम सजे !
दीन देश की खबर मिले तो ,
मेरे भी हैं कान बजे !
देख देख में स्वांग बदलता –
सबने बदला चोला है !!
बात बात तकरार भी होती ,
पल पल में है रुख बदले !
देश समाज की में क्या जानूँ ,
मन मेरा भी है पिघले !
प्यार से रहना सीखें मुझसे
इसने ही झकझोला है !!
बृज व्यास