माँ दुआओं से अपनी बचाती रहे
आज की हासिल
ग़ज़ल
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माँ जो औलाद पर जां लुटाती रहे
खुद रहे भूखी सबको खिलाती रहे
??
आज के बच्चे देखें न माँ को कभी
चाहे हालत पे आँसू बहाती रहे
??
गर बला आए बच्चों की जानिब कभी
माँ दुआओं से अपनी बचाती रहे
??
खुद परेशां रहे धूप से माँ मगर
छतरी आँचल की तुम पर लगाती रहे
??
बस खुशी में तुम्हारी माँ खुश हो गई
दर्द को अपने तुमसे छुपाती रहे
??
माँ से बढ़ कर रहमदिल न देखा कोई
फ़र्ज़ जो जान देकर निभाती रहे
??
चूमते रहना “प्रीतम” क़दम माँ के तू
जिंदगी फिर तेरी मुस्कुराती रहे
??
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
15/09/2017
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