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18 Mar 2020 · 1 min read

माँ जैसी थी कभी जो

माँ जैसी थी कभी जो बेहतरीन बेच दी
थी एक मगर करके उसको तीन बेच दी

पुरखों ने अपने खून से सींचा जिसे सदा
प्लाटिंग करके तुमने वो जमीन बेच दी

हमको ही डस रहा है पता जब से ये चला
उस पल ही हमने अपनी आस्तीन बेच दी

साँपों ने सियासत में कदम जब से रख दिया
डरकर के सपेरों ने अपनी बीन बेच दी

नंगे बदन फकीर को देखा जो एक दिन
खुद की कमीज..बोल के आमीन बेच दी

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