Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Nov 2018 · 1 min read

माँ – जीवन का आधार

एक महान मूरत है माँ,
भगवान का जीवंत रूप है माँ,

निराधार है ये मेरा जीवन
अपने हाथों से तिनका तिनका पिरो कर
आधार बनाती है माँ
दुखों के अंधकार में,
सूरज की रौशनी सी है माँ,

बहुत उलजनों से भरी है ज़िंदगी
सब उलजनों को सुलझाती जा रही है माँ,
जीवन कठिन है
डटकर सामना करना सिखलाती है माँ

एक महान मूरत है माँ,
भगवान का जीवंत रूप है माँ,

गुरु विरक
सिरसा (हरियाणा)

5 Likes · 29 Comments · 970 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रक्त से सीचा मातृभूमि उर,देकर अपनी जान।
रक्त से सीचा मातृभूमि उर,देकर अपनी जान।
Neelam Sharma
भारत को निपुण बनाओ
भारत को निपुण बनाओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
ये हवाएँ
ये हवाएँ
VINOD CHAUHAN
तुम किसी झील का मीठा पानी..(✍️kailash singh)
तुम किसी झील का मीठा पानी..(✍️kailash singh)
Kailash singh
मेरी नज़्म, शायरी,  ग़ज़ल, की आवाज हो तुम
मेरी नज़्म, शायरी, ग़ज़ल, की आवाज हो तुम
अनंत पांडेय "INϕ9YT"
हिंदू कौन?
हिंदू कौन?
Sanjay ' शून्य'
इश्क की गलियों में
इश्क की गलियों में
Dr. Man Mohan Krishna
* अवधपुरी की ओर *
* अवधपुरी की ओर *
surenderpal vaidya
व्यक्तित्व और व्यवहार हमारी धरोहर
व्यक्तित्व और व्यवहार हमारी धरोहर
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
माता शबरी
माता शबरी
SHAILESH MOHAN
पिता की पराजय
पिता की पराजय
Suryakant Dwivedi
बालगीत - सर्दी आई
बालगीत - सर्दी आई
Kanchan Khanna
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
-- लगन --
-- लगन --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
चर्चित हो जाऊँ
चर्चित हो जाऊँ
संजय कुमार संजू
चार पैसे भी नही..
चार पैसे भी नही..
Vijay kumar Pandey
तुम्हें नहीं पता, तुम कितनों के जान हो…
तुम्हें नहीं पता, तुम कितनों के जान हो…
Anand Kumar
💐प्रेम कौतुक-293💐
💐प्रेम कौतुक-293💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
उसने
उसने
Ranjana Verma
बुंदेली दोहा -तर
बुंदेली दोहा -तर
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*श्रमिक मजदूर*
*श्रमिक मजदूर*
Shashi kala vyas
"स्मार्ट कौन?"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
Rj Anand Prajapati
गुरु और गुरू में अंतर
गुरु और गुरू में अंतर
Subhash Singhai
श्रृंगार
श्रृंगार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
3111.*पूर्णिका*
3111.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#अब_यादों_में
#अब_यादों_में
*Author प्रणय प्रभात*
नागपंचमी........एक पर्व
नागपंचमी........एक पर्व
Neeraj Agarwal
शिछा-दोष
शिछा-दोष
Bodhisatva kastooriya
"अदृश्य शक्ति"
Ekta chitrangini
Loading...