माँ कुष्मांडा
?विधा—- छंद मुक्त गीत
?विषय— माँ कुष्मांडा (चतुर्थ दिवस)
?रचना—-
सृष्टि का उद्भव माँ तुम से, तम का करती नाश सदा।
अष्ट भूजी माँ सिंह सवारी, भक्त हृदय में वास सदा।।
सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तुमने ही ब्रह्मांड बनाया।
आदिशक्ति माँ हे कुष्माण्डा, तुम से ही भव जीवन पाया।।
माँ अपनी भक्ति तू दे दे, बना रहूँ मै दास सदा।
अष्ट भूजी माँ सिंह सवारी, भक्त हृदय में वास सदा।।
हाथों में माँ धनुष कमण्डल, कमल पुष्प अरु चक्र गदा।
अमृत पूरित कलश लिए माँ, मुखमण्डल पर तेज सदा।।
सिद्धि को नर करे तपस्या, रखता है उपवास सदा।
अष्ट भूजी माँ सिंह सवारी, भक्त हृदय में वास सदा।।
रोग हरे माँ शोक है हरती,बाधाओं से मुक्त करे।
बल पौरुष तू देती माता, हर शक्ति से युक्त करे।।
अश्विन शुक्ल अरु तिथि चतुर्थी, पूजन का यह दिवस सदा।
अष्ट भूजी माँ सिंह सवारी, भक्त हृदय में वास सदा।।
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#घोषणा
मैं [पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’] यह घोषणा करता हूँ कि मेरे द्वारा प्रेषित रचना मौलिक एवं स्वरचित है।
[पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’]
स्थान:- मुसहरवा (मंशानगर), पश्चिमी चम्पारण, बिहार