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15 Nov 2017 · 1 min read

महेन्द्र सिंह कभी नहीं लिखता !

मैं लिखता हूँ …!
पर मैं कभी नहीं लिखता !

जो तोड़ते है,
वे जोड़ते नहीं !

ढाँप ली गई आँखें,
निष्पक्षता का धोतक है !

लोग धोखे में है !
पर्दे समर्पण सम्मान की झलक है,
लोग रीति से जोड़ लेते है !

घूँघट के पट खोल !
कहे तो,
पर्दा हटाये है,

देख महेन्द्र सिंह,
तेरी समझ कौन स्तर पर है !

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 365 Views
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