Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2017 · 2 min read

महिला दिवस विशेष- नारी विमर्श का कड़वा सच

आधुनिक परिवेश में अधिकांश लेखकों द्वारा नारी विमर्श पर सृजन किया जा रहा है जो कि नारी उत्थान का इतिहास स्वर्णिम अक्षरों में रचने में अहम भूमिका निभा सकता है। लेकिन अभी तक के अपने चिर-परिचित अनुभवों को आधार बनाकर यह कहना बिल्कुल भी अनुचित नही होगा कि नारी उत्थान के सपने सिर्फ नारी विमर्श पर लेखन से नही सजोये जा सकते है बल्कि ये लड़ाई ये मुहिम नारी के अधिकारों की है तकदीर एवं तस्वीर बदलने की है तो मुझे लगता है कि इस दिशा में सफलता हासिल करने के लिये सर्वप्रथम नारी को जागरूक होने और अपने अधिकारों को जानने की आवश्यकता है तभी ये लेखन एक सार्थक लेखन सिद्ध हो सकता है हालाँकि इस बात में भी कोई कसर नही है कि लेखन ने समाज को दिशा और दशा दी है इसलिये नारी विमर्श पर हो रहा सृजन भी कंही न कंही महत्वपूर्ण है। इस पर विश्लेषण करते हुये मुझे अपने महाविद्यालय की एक घटना याद आ रही है विगत छात्रसंघ चुनाव में छात्र संघ अध्यक्ष पद पर दो प्रत्याशियों द्वारा नामांकन किया गया था जिसमें एक छात्र उम्मीदवार और एक छात्रा उम्मीदवार थी महाविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में मतदान करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में छात्राओं की संख्या लगभग 80 प्रतिशत थी जबकि छात्रों की संख्या को लेकर यह कहा जाये कि रायते में जीरे के बराबर तो गलत नही होगा। छात्राओं की कई गुना संख्या ज्यादा होने के बावजूद भी छात्र प्रत्याशी की एकतरफा जीत और छात्रा प्रत्याशी की करारी हार नारी एकता पर सवालिया निशान लगाने का काम कर रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि नारी शक्ति के बीच अभी जागरूकता का अभाव है । अभी हाल ही में एक साहित्यिक समारोह में भी नारी अपने अधिकारों के प्रति नारी कितनी जागरूक है इसका ज्वलंत उदाहरण यँहा देखने को मिला । समारोह में नारी विमर्श का सत्र आयोजित हो रहा था मंच पर करीब एक दर्जन वक्ताओं की मौजूदगी थी जिनमे तीन पुरुष वक्ता वाकी नारी वक्ता थी सत्र धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ा । और नारी विमर्श पर अपने व्याख्यान देने को मंच पर मौजूद नारी वक्ता नारी विर्मश और नारी सशक्तिकरण को लेकर वास्तविक जीवन में कितनी गम्भीर है इस बात से भी इसी सत्र के दौरान रु-ब-रु होने का अवसर मिला। हुआ यूं कि अपने संबोधन में नारी सशक्तिकरण और नारी विमर्श को लेकर बड़ी बड़ी बातें करने वाली अधिकांश नारी वक्ता द्वारा मंच की गरिमा को ठेस पहुँचाते हुये अपना वक्तव्य कुछ मिनटों में देने के बाद मंच से नो दो ग्यारह हो लिये । सवाल ये उठता है कि क्या ऐसे ही होगा नारी सशक्तिकरण? क्या ऐसे ही होगा नारी विमर्श सार्थक? क्या ऐसे ही आएगी नारियों में अपने अधिकार के प्रति जागरूकता? नारी विमर्श और नारी सशक्तिकरण पर सिर्फ बोलने और सृजन करने से कोई प्रभावशाली परिणाम प्राप्त करने का सपना देखना आसमान से तारे तोड़ लाने जैसा लग रहा।

Language: Hindi
Tag: लेख
699 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
न मिलती कुछ तवज्जो है, न होता मान सीधे का।
न मिलती कुछ तवज्जो है, न होता मान सीधे का।
डॉ.सीमा अग्रवाल
इक दिन चंदा मामा बोले ,मेरी प्यारी प्यारी नानी
इक दिन चंदा मामा बोले ,मेरी प्यारी प्यारी नानी
Dr Archana Gupta
मैं तो महज एक ख्वाब हूँ
मैं तो महज एक ख्वाब हूँ
VINOD CHAUHAN
काग़ज़ पर उतार दो
काग़ज़ पर उतार दो
Surinder blackpen
*बाद मरने के शरीर, तुरंत मिट्टी हो गया (मुक्तक)*
*बाद मरने के शरीर, तुरंत मिट्टी हो गया (मुक्तक)*
Ravi Prakash
खुदारा मुझे भी दुआ दीजिए।
खुदारा मुझे भी दुआ दीजिए।
सत्य कुमार प्रेमी
अब हम बहुत दूर …
अब हम बहुत दूर …
DrLakshman Jha Parimal
उफ़ ये बेटियाँ
उफ़ ये बेटियाँ
SHAMA PARVEEN
सुहासिनी की शादी
सुहासिनी की शादी
विजय कुमार अग्रवाल
मुझे भी
मुझे भी "याद" रखना,, जब लिखो "तारीफ " वफ़ा की.
Ranjeet kumar patre
2299.पूर्णिका
2299.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
💐Prodigy Love-14💐
💐Prodigy Love-14💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
प्रेम
प्रेम
Mamta Rani
जाने कहां गई वो बातें
जाने कहां गई वो बातें
Suryakant Dwivedi
स्वस्थ तन
स्वस्थ तन
Sandeep Pande
जिंदगी एक किराये का घर है।
जिंदगी एक किराये का घर है।
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
गांधी जी का चौथा बंदर
गांधी जी का चौथा बंदर
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
Just lost in a dilemma when the abscisic acid of negativity
Just lost in a dilemma when the abscisic acid of negativity
Sukoon
■
■ "अ" से "ज्ञ" के बीच सिमटी है दुनिया की प्रत्येक भाषा। 😊
*Author प्रणय प्रभात*
अकेले
अकेले
Dr.Pratibha Prakash
तेरे जन्म दिवस पर सजनी
तेरे जन्म दिवस पर सजनी
Satish Srijan
प्रदूषण-जमघट।
प्रदूषण-जमघट।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
दाता
दाता
Sanjay ' शून्य'
अफसाने
अफसाने
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
* मन बसेगा नहीं *
* मन बसेगा नहीं *
surenderpal vaidya
जीने के तकाज़े हैं
जीने के तकाज़े हैं
Dr fauzia Naseem shad
अफ़सोस का बीज
अफ़सोस का बीज
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
दीपावली
दीपावली
Deepali Kalra
"ओस की बूंद"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
माँ महागौरी है नमन
माँ महागौरी है नमन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Loading...