Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Nov 2019 · 2 min read

महाराष्ट्र का किसान

महाराष्ट्र का किसान
————————
आज महाराष्ट्र के किसानों का भाग्य देखकर मुझे ईर्ष्या हो रही है !
वहां का किसान इतना भाग्यशाली है कि जिसकी सेवा करने के लिए वहां के विधायकों में होड़ लगी हुई है ! 105 सीटें होने के बावजूद भी सबसे बड़ी पार्टी को किसानों की सेवा करने के अधिकार से वंछित रखा जा रहा है !
56 सीटों वाली शिवसेना में तो किसानों के प्रति सेवाभाव ने इतने हिलोरे लिए कि वह इस बात पर मरने मारने पर उतारू हो गई कि उसे सबसे पहली पंक्ति में खड़े होकर ही सेवा करनी थी !
सच भी है कि पीछे खड़ा विधायक सही से किसानों की सेवा न कर पाएगा और एक बार को कर भी ले तो हो सकता है कि किसानों को वो दिखाई ही न दे ! उस स्थिति में फिर सारी करी धरी सेवा मिट्टी में ही मिल जाएगी , क्या फायदा ?
तो शिवसेना 30 बरस पुराने दोस्त को छोड़ उन दुश्मनों के पास चली गई जिनके हाथों महाराष्ट्र का किसान सेवा करवाने को कभी तैयार ही नहीं था ! 56 और 44 विधायकों वाले दोनों दुश्मनों ने सोचा कोई बात नहीं अब सब मिलकर किसानों को मना लेंगे और सेवा करनी शुरू कर देंगे !
तो फिर ये दोनो दुश्मन उसे किसानों की सेवा करने का मौका सबसे पहले और बिल्कुल आगो वाली लाइन में खड़ा होकर करने देने तो तैयार हो गए !
लेकिन किसानों की सेवा करना इतना आसान भी नहीं भाई ! इन्ही दोनों दुश्मनों के विधायकों के ज़मीर ने गवारा न किया कि किसानों की सेवा करने का मौका उनके हाथ से लेकर किसी तीसरे को दे दिया जाए ! तो वे भी जबरदस्ती पहली पंक्ति में खड़े होकर सेवा करने की जिद के चलते 105 वाली पार्टी के साथ जाकर सेवा करने का मन बनाने लगे!
लेकिन वाह रे किसान की किस्मत , जिसने तुम्हारी सेवा न होने देने की ठान ही रखी है शायद !
लगता है तुम्हारी सेवा करने का मौका अब किसे मिलेगा , यह एक सस्पेंस बन चुका है ! दिल में किसानों की सेवा भाव भरे इन विधायकों को बसों में भरकर गुप्त जगहों पर छिपाकर रखा जाया जा रहा ताकि वे कोई सेवा न कर पाएं !
मतलब कि किसानों की सेवा करना देखने में जितना आसान लगता है उतना है नहीं !
सेवाभाव करने को आतुर विधायकों में भागम-भाग मची है और भागने पर उनकी धरपकड़ जारी है !
अरे निष्ठुर विधायकों , किसान उधर बैठा तुम्हारी सेवा का इंतज़ार कर रहा है , जल्दी से अंतरात्मा की आवाज़ सुन किसानों की सेवा करने का सीधा रास्ता ढूंढो !
ईश्वर से प्रार्थना है कि महाराष्ट्र के किसानों की सेवा करने का जैसा भाव वहां के विधायकों में देखने को मिल रहा है , वैसा सभी को दे !

‘किसानों की सेवा इतनी नहीं आसां,
इसे बस कुछ यूं ही समझ लीजै !
145 के आँकड़े का दरिया है,
जिसे अंतरात्मा की आवाज़ सुन,
पार कर जाना है !’
इति !
~Sugyata
Copyright Reserved

Language: Hindi
Tag: लेख
487 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
टूटेगा एतबार
टूटेगा एतबार
Dr fauzia Naseem shad
मौहब्बत की नदियां बहा कर रहेंगे ।
मौहब्बत की नदियां बहा कर रहेंगे ।
Phool gufran
शायरी संग्रह
शायरी संग्रह
श्याम सिंह बिष्ट
*प्यार या एहसान*
*प्यार या एहसान*
Harminder Kaur
ज़माना
ज़माना
अखिलेश 'अखिल'
NEEL PADAM
NEEL PADAM
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ज़िंदगी में एक बार रोना भी जरूरी है
ज़िंदगी में एक बार रोना भी जरूरी है
Jitendra Chhonkar
जन्म हाथ नहीं, मृत्यु ज्ञात नहीं।
जन्म हाथ नहीं, मृत्यु ज्ञात नहीं।
Sanjay ' शून्य'
श्रीराम का पता
श्रीराम का पता
नन्दलाल सुथार "राही"
आज का महाभारत 1
आज का महाभारत 1
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कहानी- 'भूरा'
कहानी- 'भूरा'
Pratibhasharma
#देसी_ग़ज़ल
#देसी_ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
गुरु अंगद देव
गुरु अंगद देव
कवि रमेशराज
जो न कभी करते हैं क्रंदन, भले भोगते भोग
जो न कभी करते हैं क्रंदन, भले भोगते भोग
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मूक संवेदना🙏
मूक संवेदना🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
शेखर सिंह
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
दुष्यन्त 'बाबा'
सत्यं शिवम सुंदरम!!
सत्यं शिवम सुंदरम!!
ओनिका सेतिया 'अनु '
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
कवि दीपक बवेजा
दूर देदो पास मत दो
दूर देदो पास मत दो
Ajad Mandori
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
धीरे धीरे बदल रहा
धीरे धीरे बदल रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
चलता ही रहा
चलता ही रहा
हिमांशु Kulshrestha
होली की पौराणिक कथाएँ।।।
होली की पौराणिक कथाएँ।।।
Jyoti Khari
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तब गाँव हमे अपनाता है
तब गाँव हमे अपनाता है
संजय कुमार संजू
"कभी-कभी"
Dr. Kishan tandon kranti
उम्र निकल रही है,
उम्र निकल रही है,
Ansh
*जीवन है मुस्कान (कुंडलिया)*
*जीवन है मुस्कान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
Loading...