Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Aug 2020 · 5 min read

महामारी में किताबों से दोस्ती 

महामारी में किताबों से दोस्ती
——————-प्रियंका सौरभ

आदमी जब ठहरता है तो इस विश्रांति में जो जीवन है उसकी झलक देखने को मिलती है। इन मुश्किलों में भी जीवन का आस्वाद और कहीं न कहीं मानव जाति पर छाए इस घनघोर संकट के लिए कुछ पलों के लिए गहरी उदासी तथा चिंता में डूब जाता है। इस ठहराव से सृजन के जो क्षण उपलब्ध कराए, वो पुस्तकें ही सकती है और पुस्तकों में जी भर डूबने का जो अवसर मिलता है, वह स्मृतियों में हमेशा दर्ज रहता है।

किताबें हमारे जीवन को सजाती-संवारती हैं। कहते हैं कि “जब आप एक किताब खोलते हैं, आप एक नई दुनिया खोलते हैं ”। मुझे विश्वास है कि हर कोई इस कथन से सहमत होगा चूंकि किताबें हमेशा से सभ्य दुनिया काअविभाज्य हिस्सा रही हैं। ज्यादातर लोगों के लिए, किताबें उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हैं। किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं जो कभी आपसे दूर नहीं चलती, आपके पास रहती है. हर वक़्त आपको कुछ समझाने-बताने और नया सिखलाने के लिए।

पुस्तकें ज्ञान से भरी होती हैं, जीवन में एक अंतर्दृष्टि देती हैं, जरूरत के समय मददगार सलाह के अलावा, प्यार करना सिखाती हैं और डर को खत्म करना सिखाती हैं, आपने कभी सोचा कि अगर बुद्धिजीवियों ने कभी अपने समय का दस्तावेज नहीं बनाया तो क्या हुआ होगा? एक पुस्तक ज्ञान का संचार करती है और एक पीढ़ी से दूसरे को ज्ञान प्रसारित भी करती है। “जितना अधिक आप पढ़ते हैं, उतना ही अधिक, अच्छी तरह से आप पढ़ रहे हैं ”। सरल शब्दों में इसका अर्थ है यह है कि जितना अधिक आप पढ़ते हैं आप उतने अधिक नई वास्तविकताओं से परिचित होते हैं । आपका नजरिया बदल जाता है और आपके विचार और कल्पना चौड़ी हो जाती है। मेरा मानना है कि किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व और व्यवहार सभी पुस्तकों का प्रतिबिंब होता है

जैसा कि पूर्व में कहा गया है – “सीखने से रचनात्मकता मिलती है, और रचनात्मकता सोचने की ओर ले जाती है, सोच ज्ञान प्रदान करती है, ज्ञान आपको महान बनाता है। ” किताब एक बहुत ही सीधे काम की तरह होता है, क्या यह नहीं है? यदि आप पूरी तरह से मनोरंजन या आराम के लिए पढ़ रहे हैं, तो यह निश्चित रूप से इतना आसान हो सकता है। आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है, पुस्तक को खोलना और शब्दों को पढ़ना जितना सरल है, उतना और कुछ भी नहीं है। मेरा मानना है कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है।

यह एक भयावह समय है। हम कोरोना के बीच में हैं, दुनिया भर में महामारी ने शहरों ,गाँवों, पूरे देशों को बंद कर दिया है। हम में से कुछ ऐसे क्षेत्रों में हैं जो पहले से ही है कोरोना से प्रभावित है। क्या हो सकता है? हम सभी सुर्खियों में देख रहे हैं और सोच रहे हैं, “आगे क्या होने जा रहा है?” हम सभी को आश्वासन, सलाह की जरूरत है, इस मुश्किल समय के दौरान सहानुभूतिपूर्ण सहायक रूप में किसे चुनते हैं। कोरोनावायरस केवल एक संक्रामक चीज नहीं है जिससे हमको लड़ना है, सबसे ज्यादा जरूरी तो आज भावनाएँ हैं जिनको हमे मजबूत बनाकर रखना है, उन लोगों के साथ वायरस के बारे में बात करने से बचें जो नकारात्मक हो सकते हैं, अपने जीवन में उन लोगों की ओर मुड़ें जो विचारशील, स्तर-प्रधान और अच्छे श्रोता हैं। यदि आपके पास ऐसे लोग नहीं है जिस पर आप भरोसा करते हैं, तो ऐसे समय आपकी सच्ची साथी पुस्तकें हो सकती है, अच्छी पुस्तकों को चुने और खुद को मजबूत करें

ये महामारी एक विशाल वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुकी है। क्योंकि संकट से निपटने के लिए बड़े स्तर की आवश्यकता होती है जो व्यवहार परिवर्तन और व्यक्तियों पर महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक बोझ डालता है, अंतर्दृष्टि और व्यवहार विज्ञान महामारी विज्ञानियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सिफारिशों के साथ मानव व्यवहार को संरेखित करने में मदद करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

तनाव को विभिन्न तरीकों से कम किया जा सकता है जैसे कि जॉगिंग के लिए जाना, अपने पसंदीदा गाने सुनना, और खाना पकाने से भी और सफाई। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि किताबें पढ़ना जादुई हो सकता है। जब भी आप अकेला या उदास महसूस करते हैं, बस एक किताब खोलो और अपने आप को मुक्त शब्दों में खो दो । कहानियों और शब्दों का विशेष रूप से मानव मन को पढ़ने और चंगा करने की शक्ति रखता है,जब आप कहानियां पढ़ते हैं, तो अपने खुद के लक्षण उन पात्रों में देख रहे हैं जो आप से संबंधित होते हैं

उनके और खुद के बीच समानताएं ढूंढंते हैं। आपको लगता है जैसे आप उस व्यक्ति के समान हैं जो कहानी में बात करता है, चरित्र की गैर-मौजूदगी के बावजूद, आप अभी भी उन्हें समझें और उनके लिए हर तरह की सोच रखकर आप उससे जुड़ते गए, इससे सहानुभूति का मानवीय भाव जगता है। जब आप उन लोगों से मिलें जो कुछ हद तक आपके द्वारा लिखे गए पात्रों के समान हैं, आप उन्हें समझने लगते हैं और उनसे सहानुभूति रखते हैं।

पढ़ना हर चिंता को सुलझाने में मदद करता है, मन में अच्छा सोचा हुआ मस्तिष्क पर सुखदायक प्रभाव डालता है। जैसे-जैसे आप पात्रों के माध्यम से कहानी में आगे बढ़ते हैं, आपके विचार और अवरोध आपके साथ यात्रा करते हैं। यह सच है, जब आपके पास एक किताब होती है, तो आपके पास एक दोस्त होता है। पढ़ना अलगाव और अकेलेपन की भावनाओं को कम करता है। इन लक्षणों में कमी से कई रोगों का इलाज किया जा सकता है जैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं- चिंता और अवसाद।

किताबें सबसे शांत और सबसे स्थिर दोस्त हैं; वे सबसे सुलभ हैं वे काउंसलर और सबसे सुलभ और बुद्धिमान हैं, शिक्षक हैं हमारी । पुस्तकों में हमें नई दुनिया और अलग-अलग समय में ले जाने की शक्ति है, किताबें हमें अपने जीवन में महत्वपूर्ण क्षणों पर वापस ले जाने की अपार सकती रखती है।

मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जिस तरह भोजन की आवश्यकता होती है। उसी तरह ज्ञान अर्जन के लिए पुस्तकों की आवश्यकता है। वर्तमान समय में लोगों की रूचि पुस्तकों से कम हुई है मगर अब भी बहुत लोग पुस्तकों के प्रेमी हैं। स्वरूप बदला है अब ई-बुक और डिजिटल संस्करणों से भी लोग पुस्तक पढ़ते हैं। किताबें आज भी हमारी धरोहर है। किताबों में इतना खजाना छुपा है जितना कोई लुटेरा कभी लूट नहीं सकता। किताबें ज्ञान की भंडार होती हैं। इसे सच्चा मित्र और मानव समाज की अनमोल संपत्ति मानी गई है। पुस्तकें इंसानों को संस्कार देती है, उन्हें गढ़ती हैं।
—-प्रियंका सौरभ

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 339 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तेरी याद
तेरी याद
SURYA PRAKASH SHARMA
मैं बुद्ध के विरुद्ध न ही....
मैं बुद्ध के विरुद्ध न ही....
Satish Srijan
आदमी सा आदमी_ ये आदमी नही
आदमी सा आदमी_ ये आदमी नही
कृष्णकांत गुर्जर
कब तक कौन रहेगा साथी
कब तक कौन रहेगा साथी
Ramswaroop Dinkar
*चलो आओ करें बच्चों से, कुछ मुस्कान की बातें (हिंदी गजल)*
*चलो आओ करें बच्चों से, कुछ मुस्कान की बातें (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
बात क्या है कुछ बताओ।
बात क्या है कुछ बताओ।
सत्य कुमार प्रेमी
मैं नारी हूँ, मैं जननी हूँ
मैं नारी हूँ, मैं जननी हूँ
Awadhesh Kumar Singh
औकात
औकात
साहित्य गौरव
To improve your mood, exercise
To improve your mood, exercise
पूर्वार्थ
"मैं आज़ाद हो गया"
Lohit Tamta
सूखी नहर
सूखी नहर
मनोज कर्ण
मेरे रहबर मेरे मालिक
मेरे रहबर मेरे मालिक
gurudeenverma198
(3) कृष्णवर्णा यामिनी पर छा रही है श्वेत चादर !
(3) कृष्णवर्णा यामिनी पर छा रही है श्वेत चादर !
Kishore Nigam
"तांगा"
Dr. Kishan tandon kranti
कविता : याद
कविता : याद
Rajesh Kumar Arjun
रिद्धि सिद्धि के जन्म दिवस पर
रिद्धि सिद्धि के जन्म दिवस पर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मशाल
मशाल
नेताम आर सी
नीर
नीर
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
बीमार घर/ (नवगीत)
बीमार घर/ (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
#दोहा-
#दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
ईश्वर नाम रख लेने से, तुम ईश्वर ना हो जाओगे,
ईश्वर नाम रख लेने से, तुम ईश्वर ना हो जाओगे,
Anand Kumar
दुश्मन जमाना बेटी का
दुश्मन जमाना बेटी का
लक्ष्मी सिंह
बिहार से एक महत्वपूर्ण दलित आत्मकथा का प्रकाशन / MUSAFIR BAITHA
बिहार से एक महत्वपूर्ण दलित आत्मकथा का प्रकाशन / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
Kumar Kalhans
"आत्मकथा"
Rajesh vyas
सुप्रभात..
सुप्रभात..
आर.एस. 'प्रीतम'
फूलों की बात हमारे,
फूलों की बात हमारे,
Neeraj Agarwal
मोहब्बत जताई गई, इश्क फरमाया गया
मोहब्बत जताई गई, इश्क फरमाया गया
Kumar lalit
दर्द ख़ामोशियों से
दर्द ख़ामोशियों से
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी का सफर बिन तुम्हारे कैसे कटे
जिंदगी का सफर बिन तुम्हारे कैसे कटे
VINOD CHAUHAN
Loading...