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28 Feb 2021 · 1 min read

घूमता कालचक्र

ये चक्र है हर जीवन का
एक गया,दूजा आएगा
ईस्वर का इसमें कहाँ अस्तित्व है
समय ऐसे आगे ही बढ़ता जाएगा ।

जो जीवन में आया है, वो जाएगा
और रिक्त स्थान हो जाएगा
भरने इसे नये जीवन का मार्ग खुल जाएगा
मिलेगी हर वार चुनौती
हर जीवन इसमें ही ढल जाएगा ।

होगा कोई जवान
कहीं जीवन घिस जाएगा
किसी के सपनों की होगी दुनिया जवान
कहीं पलकों का झपकना रुक जाएगा ।

रिस्तों का सीमित व्यापार यहाँ
समय लेने-देने का रखता हिसाब
भूख-भावना जरूरत है जीव की
पूरी करेगा वही रिस्तों का मधु पी पाएगा।

ना कोई एहसान किसी पर करता
ना ही करता कोई परोपकार
लेन-देन का है यह रिस्ता है
किसी से लेगा किसी को देता जाएगा।

ये गतिशील समय है
जो केवल आगे आगे जाएगा
ईस्वर इसमें अगर फंसा गया
तो उसका भी अंत हो जाएगा ।

ये चक्र है कालचक्र का
हर कोई इसमें फंसा हुआ
सूखा, हरियाली कहाँ से शुरू हुई
कोई ना समझ पाएगा ।

सबका निश्चित बिंदु है इसमें
नही जुगाड़ कोई कर पाएगा
ना ईस्वर ना ही पेगम्बर
ना पण्डित-मुल्ला कोई पेच ढूंढ पाएगा ।

ये जग सारा अटल रहस्य है
तारों को हमेशा
पृथ्वी के ऊपर-नीचे पाएगा
भाग रहा है जिन्दा जीवन
पिण्डों को भी घूमता भागता पाएगा।

कहाँ से आयी जल-जमीन
कहाँ से आया ये जीवन
हर कोई अपना अपना अनुमान लगाएगा
समय भाग रहा बिना ब्रेक के
पटरी पर सभी को कुचलता जाएगा ।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 407 Views
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