महंगाई
ना सड़क पर हल्ला
ना ही गले में
आलू-प्याज का छल्ला
ना कोई शोर-शराबा
महंगाई ने खींच लिया इलाका ।
महंगाई हो गयी गुंडा-भाई
डॉन की होकर लुगाई
हाथ में लेकर डंडा
पैसे खा रहा अंडा
देशभक्ति का बस एक फंडा
पाक के पीछे डाल दिया
बांस का डंडा ।
पेट्रोल-डीजल बड़े सयाने
गुप-चुप लगे भाई
को पटाने
सिलिंडर भी लगा रहा है ठुमका
पका कर दिखाओ
गाजर का हलवा
ज्यादा करोगे बकबास
सब्सिडी से भी धो बैठोगे हाथ
इसलिए रहो चुपचाप।
भैंस ने दिखाये तेवर
दूध दिया कम
ज्यादा किया गोबर
दूध पिलाऊँ में
घी बनबाउं में
दूध के दाम करो ओवर
गाय खाये बादाम
भैंस को नही कोई सलाम।
दाम हैं आसमान में
आलू हो या प्याज
टमाटर या दाल
जो बुलंद करे आवाज़
वो देशद्रोहीयों के साथ
जो करे ज्यादा हल्ला
वो है सेक्युलर दल्ला
तुमको बना कर बोल
मिडिया खेलेगी फुटबॉल ।
अब ना किसी की हिम्मत
जो बोले महंगाई
मार्केट के हर दाम पर
खुश है
सब की लुगाई
थोड़ा कम खा पीलेंगे
फाइव ट्रिलियन का लक्ष्य
पकड़ना है भाई ।
पर्स भी है खुश
बोझा ढोना गया रुक
बार बार होती थी
नींद ख़राब
हर बार डालते पर्स में हाथ
अब आ गयी महंगाई
पर्स ने ली नींद की अंगड़ाई ।
खाओ खाना रुखा-सूखा
माँ भारती की
महंगाई से होगी रक्षा
अर्थव्यवस्था ने खाया गच्चा
महंगाई ही इसे
रास्ते पर लाएगी बच्चा
चुपचाप देते रहो टैक्स
बेरोजगार होकर घर पर
करो रेस्ट ।