” मस्तियाँ आँखों में छाई ” !!
शहद धरे ,अधर तेरे ,
चितवन कमान !
डिम्पल गालों में छुपे ,
तिरछी मुस्कान !
रूप चढ़ा अंग अंग –
लेकर जमुहाई !!
बल खाती जुल्फों ने ,
बांधें हैं पहर !
पलकों की बंदिश ने ,
ढाये हैं कहर !
रोम रोम है पुलकित –
यौवन ऋतु आई !!
जीवन आल्हादित है ,
सपने हैं गुम !
खुशियों के मौसम में ,
बहके से तुम !
खिलखिलाए अल्हाड़पन –
लिए तरुणाई !!