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10 Jan 2017 · 1 min read

मर जाने दो बेटियों को…

मर जाने दो बेटियों को…

लिंग परिक्षण कर भेदभाव जताया
मारने को उसे औज़ारों से कटवाया
इतनी घ्रणा है उसके अस्तिव से तो
मर जाने दो बेटियों को

घोडा-गाडी, बंगला-पैसा नहीं चाहिये
स्वाभिमान- स्नेह भरी जिन्द्गी चाहिये
नहीं दे सकते तो
मर जाने दो बेटियों को…

घर के आंगन में पौधा तुलसी चाहिये
पहले नन्ही पौध को तो आंगन में लाइये
नहीं सींच सकते प्रेम से तो
मर जाने दो बेटियों को…

तेज़ाब डालकर मारना चाहा
छोटी-छोटी खुशियों के लिये तड़पाया
जीने के अधिकार नहीं दे सकते तो
मर जाने दो बेटियों को

नारी की हर क्षेत्र में तरक्की चाहिये
पहले घर की बेटी को तो सपने दिखाइये
नहीं जीने दे सकते खुलके तो
मर जाने दो बेटियों को…

लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झांसी

1 Like · 724 Views
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