Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Mar 2020 · 1 min read

मर्यादा पुरुषोत्तम

भारत है वह देश जिसको
करता सकल विश्व प्रणाम।
यह वो पावन देश है जिसमें
जन्मे मर्यादा पुरुषोत्तम राम।

थे श्री राम मर्यादा के सागर
नियमबद्ध चरित्र की मिसाल
आज भी घर-घर में गुंजित है
बीत गये जबकि हजारों साल।

राम शब्द है दो अक्षरों का
बड़ा ही है इसका चमत्कार।
सकल जगत का प्यार इसमें
समाया इसमें सृष्टि का सार।

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
437 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
💐प्रेम कौतुक-248💐
💐प्रेम कौतुक-248💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
फितरत
फितरत
लक्ष्मी सिंह
वैराग्य का भी अपना हीं मजा है,
वैराग्य का भी अपना हीं मजा है,
Manisha Manjari
मन में क्यों भरा रहे घमंड
मन में क्यों भरा रहे घमंड
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
आज़ाद हूं मैं
आज़ाद हूं मैं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
दम उलझता है
दम उलझता है
Dr fauzia Naseem shad
भूख सोने नहीं देती
भूख सोने नहीं देती
Shweta Soni
*तू एक फूल-सा*
*तू एक फूल-सा*
Sunanda Chaudhary
किसान
किसान
Dp Gangwar
What consumes your mind controls your life
What consumes your mind controls your life
पूर्वार्थ
3) मैं किताब हूँ
3) मैं किताब हूँ
पूनम झा 'प्रथमा'
"टेंशन को टा-टा"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन में कोई भी युद्ध अकेले होकर नहीं लड़ा जा सकता। भगवान राम
जीवन में कोई भी युद्ध अकेले होकर नहीं लड़ा जा सकता। भगवान राम
Dr Tabassum Jahan
बिटिया और धरती
बिटिया और धरती
Surinder blackpen
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
Shekhar Chandra Mitra
स्वप्न विवेचना -ज्योतिषीय शोध लेख
स्वप्न विवेचना -ज्योतिषीय शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बढ़ना होगा
बढ़ना होगा
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
नहीं, अब ऐसा नहीं हो सकता
नहीं, अब ऐसा नहीं हो सकता
gurudeenverma198
*खामोशी अब लब्ज़ चाहती है*
*खामोशी अब लब्ज़ चाहती है*
Shashi kala vyas
आसमाँ के अनगिनत सितारों मे टिमटिमाना नहीं है मुझे,
आसमाँ के अनगिनत सितारों मे टिमटिमाना नहीं है मुझे,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
आशा
आशा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
3035.*पूर्णिका*
3035.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गरीबी……..
गरीबी……..
Awadhesh Kumar Singh
भर मुझको भुजपाश में, भुला गई हर राह ।
भर मुझको भुजपाश में, भुला गई हर राह ।
Arvind trivedi
*रामपुर रजा लाइब्रेरी में सुरेंद्र मोहन मिश्र पुरातात्विक संग्रह : एक अवलोकन*
*रामपुर रजा लाइब्रेरी में सुरेंद्र मोहन मिश्र पुरातात्विक संग्रह : एक अवलोकन*
Ravi Prakash
लफ्जों के तीर बड़े तीखे होते हैं जनाब
लफ्जों के तीर बड़े तीखे होते हैं जनाब
Shubham Pandey (S P)
फितरत,,,
फितरत,,,
Bindravn rai Saral
■सामयिक दोहा■
■सामयिक दोहा■
*Author प्रणय प्रभात*
परिणति
परिणति
Shyam Sundar Subramanian
Loading...