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24 Feb 2018 · 1 min read

मर्यादा तनिक तो निभाइये जनाब

छोड़िये मार काट की बातें करना
मजलूमों पर रहम खाइये जनाब
जहर फैल रहा सबकी आंखों में है
मर्यादा तनिक तो निभाइये जनाब

प्रेम की नदियां अब सूख रही हैं
द्वेश का सागर चहुंओर लहरा रहा है
सबकी आंखों में दिखती नफरत है
आदमी आदमी को काट खा रहा है
मनुष्यता विलुप्त हो रही धरा पर
प्रेम का परचम तो लहराइये जनाब
मर्यादा तनिक तो निभाइये जनाब।

घर कर रही निराशा हर दिल में है
हो रही हताशा अब हर मन में है
मक्कार झूठे लम्पट और व्यभिचारी
सर उठा चल रहे जन जन में हैं
पशुओं से भी बदतर समाज हो रहा
संवेदनाएं थोड़ी तो जगाइये जनाब
मर्यादा तनिक तो निभाइये जनाब।

घर बार उजड़ रहे लोगों के
बच्चे भूख से मर रहे लोगों के
दो जून की रोटी हासिल हो जाए
तुम्हारे झांसे में फंस रहे है लोग
अपनी रोजी-रोटी के चक्कर में
लोगों को तो न भडकाइए जनाब
मर्यादा तनिक तो निभाइये जनाब।

Language: Hindi
303 Views
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