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14 Feb 2018 · 1 min read

मरघट (2)

? ? ? ?
प्राण पखेरू क्षण में उड़ गया ,रह गया काया कंचन है।

मुंद गयी अखियाँ, झड़ गयी पखियाँ, लगा वियोगी अंजन है ।

गंगा जल स्नान कराया, ओढ़ ली चुनरिया श्वेत कफन की,

मरघट चला कन्घे पर ,मुख तुलसी ,लगा माथे चंदन है ।

? ? ? ? —लक्ष्मी सिंह ? ☺

Language: Hindi
211 Views
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