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15 Feb 2021 · 2 min read

मन

मन

मन का अपना संसार
मन की अपनी दुनिया
संसार के मंच का
कलाकार है मन
चेतना का अथाह सागर
मन के मौन का
अपना एक समंदर
मन की पीड़ा
तन की पीड़ा बन बन उभरती
या यूं कहूं
तन की पीड़ा
मन की पीड़ा बन जाती
मन की तलाशा का
कोई अंत नहीं
मन का अपना अंतर्मन
कभी – कभी तो स्वयं की
सोच से परे
भौतिक जगत से दूर
स्वयं की खोज में
स्वयं के अस्तित्व की
एक अथाह खोज
कभी मन स्वयं का
हिंसक प्रतियोगी बन उभरता
तो कभी शान्ति के अथाह सागर में
तैरता – उतराता
मन का अपना खुला आसमां
मन की अपनी सीमाएं
मन का अपना उन्मुक्त गगन
मन की अपनी जंजीरें
एक मन दूसरे के मन से अलग
कुछ समानताएं तो कुछ असमानताएं
कुंद मन कुएं के मेंढक की भांति
स्वस्थ मन शान्ति के अथाह
सागर की भांति
मन का अपना सम्मोहन
कहीं हमारा सूक्ष्म शरीर
कहीं हमारा मन ही तो नहीं
मन का विव्हल होना
दिल की धड़कनों का तेज होना
मन की बातें आखिर
दिल सुनता क्यों है?
प्रसन्न मन आंतरिक एवं बाह्य
प्रभाव परिलक्षित करता
मन इन्द्रियों द्वारा प्राप्त
अनुभूतियों के बिम्ब का प्रतिफल
लक्ष्यों का चुनाव मन का संकल्प
भाव वेग, अनुभव , अनुभूति व सहज बोध
सभी मन के प्रतिफल स्वरूप
परिलक्षित होते
विश्लेषण करने की क्षमता
जो कि चेतना और चिंतन की क्षमता का
विकास करता है
मन के द्वारा ही संभव
मन का अपना कल्पना लोक
मन की अपनी कल्पनाशीलता
मन का अपना अथाह समंदर
मन आखिर मन है
मन का अपना मंदिर
मन का अपना गुरद्वारा
मन की अपनी मस्जिद
मन का अपना मन
मन से परे कुछ भी नहीं

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 564 Views
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