–मन शांत सब शांत–
तोटक(त्रोटक)छंद की परिभाषा और कविता–
तोटक छंद
————–यह एक वर्णिक छंद है।इसमें चार चरण होते हैं।इस छंद के प्रत्येक चरण में बारह वर्ण चार सगण क्रम में होते हैं।
इस छंद में दो या चारों चरण समतुकांत होते हैं।यह भक्ति,नीति,आदर्श,प्रेरणा संबंधी रचनाओं के लिए शोभनीय है।
सगण×4=तोटक छंद या IIS×4
तोटक छंद की कविता–
“मन शांत सब शांत”
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मिलके तुमसे हँसता दिल है।
दिल ही दिल का महका कल है।
चलते रहना खिलते रहना,
ग़म का सुनले पहला हल है।
सबसे मिलना मिलके रहना।
सबमें ढ़लना न कभी जलना।
रब है मन ये मन की सुनना,
सपने मन के मन से बुनना।
चलते-चलते थकना न कभी।
कहते-कहते डरना न कभी।
नदिया बनके बढ़ते रहना,
थकके डरके रुकना न कभी।
भ्रम को रखिए मन में न कहीं।
मन शांत सभी कुछ शांत वहीं।
चलना गिरना उठना चलता,
रुकता सुनिए कुछ यार नहीं।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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