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17 Dec 2020 · 1 min read

मन चंचल है

मन चंचल है

मन चंचल है मन मोहित है
मन पवन सा बहता झोंका है
मन मंदिर है मन पूजा है
मन मगन प्रेम का सागर है

प्यारी प्यारी बातों से
प्रेम प्रारंभ हो जाता है
मंद मंद मुस्कानों से
दिल का डोर बन्ध जाता है

रात में प्यारे सपनों से
एक उमंग प्रेम का आता है
मन की बात दिल से होने पर
उत्सव जीवन में आता है

नटखट चंचल सी आदत उसकी
रातों की नींद चुरा ले जाती है
पायल की प्यारी सी छम छम
दिल में खनक कर जाती है

चोरी चोरी चुप कर मिलना
एक डर सा मन में रहता है
प्यार भी बड़ा अजीब है यारों
डर डर कर भी डर नहीं रहता है

मन चंचल है मन मोहित है
मन पवन सा बहका झोंका है
मन मंदिर है मन पूजा है
मन मगन प्रेम का सागर है

युवा कवि / लेखक
( गोविन्द मौर्या – प्रेम जी )
सिद्धार्थ नगर , उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
2 Comments · 281 Views
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