मन चंचल मन शैतां होता
विषय:मन
विधा:गीत
छंद-चौपाई
मन चंचल मन शैतां होता।
मन रमता मन भी है खोता।।
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मन की गति कोई नहिं पाये।
मन क्षण में भ्रमण कर आये।
मन से उतर गया जो कोई।
नहीं सुहाता पल भर सोई।।
मन निर्मल ओ काला होता।
मन चंचल मन शैतां होता।।
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गम से बोझिल जब होता मन।
दुख से मन ही मन रोता मन।।
जब उल्टी सीधी है करता ।
इस दुनिया को वहुत अखरता ।।
कहते सब उसका मन खोता।
मन चंचल मन शैतां होता।।
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मन पर जोर नहीं चलता है।
मन स्वच्छंद स्वत:बढता है।
मन सपनों के महल बनाता।
सुंदर-सुंदर सपन सजाता।।
मन ही मन सब बीजक बोता।
मन चंचल मन शैतां होता।।
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अटल मुरादाबादी