मन उत्पात
आज मन मे उठे जीवन को लेकर कुछ भाव है
क्यो ये अंतरद्वन्द जीवन पथ पट चला है
मेरे मन मस्तिष्क में हलचल आज न जाने क्योहैं
क्यो जीवन को लेकर अंतरंग संघर्ष इतना है।
क्यो जीवन व्याधियों सा हो गया
व्यर्थ ही जीवन मे क्यो उहापोह उत्पात हैं
अंतरमन में उतरते आज कुछ संघर्ष है
त्याग बंधनो को चलो जीवन जीते है।
सोच में चलता संघर्ष हर पल हैं
देखती हूँ रात दिन मानसिक संघर्ष है
जीत की उम्मीद में जीवन जीया हैं
खुद में ही खुद को हरदम ढूंढा हैं।
जीवन युद्ध का मैदान ये ही द्वंद्व हैं
मन मेरा क्यो बेचैन सा परेशान है
चलो छोड़ संघर्ष को आगे बढ़ते हैं
आज हृदय बात को चलो रखते हैं।